आमच्या आसामच्या मित्राने दिलेली "बिहू" विषयी थोडक्यात माहिती... प्रत्येक बिहू कृषि कलेन्डर के विशिष्ट अवसर पर पड़ता है। तीनों बिहू उत्सवों में सबसे आकर्षक, बसंत ऋतु का उत्सव 'बोहाग बिहू' अथवा रंगाली बिहू होता है जो मध्य अप्रैल में मनाया जाता है, जिससे कृषि ऋतु का प्रारम्भ होता है। बिहू असम के सबसे ज्यादा प्रचलित लोक नृत्य को दिया गया नाम है, जिसका सभी जवान व बूढ़े, अमीर व ग़रीब आनन्द लेते हैं। नृत्य बिहू उत्सव का अंग हैं, जो मध्य अप्रैल में पड़ता है। जब फ़सल कटाई होती है और जो लगभग एक महीने तक चलती है। इससे असम के कलेन्डर की भी शुरूआत होती है। बिहू नृत्य युवा लड़के व लड़कियों द्वारा खुले मैदान में किया जाता है, तथापि वे आपस में नहीं मिलते हैं। पूरा गांव नृत्य में हिस्सा लेता है, चूंकि नर्तक घर-घर में जाते हैं। इस नृत्य की पहचान तेजी से क़दम उठाना, हाथों को उछालना व चुटकी बजाना तथा कूल्हे मटकाना है जो कि युवाओं के मनोभाव का द्योतक है। कलाकार कभी-कभी गीत गाते हैं। नृत्य धीमी गति से आरंभ होता है, और जैसे-जैसे नृत्य आगे बढ़ता है इसकी गति तेज़ होती ...